छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के सनावल थाना अंतर्गत लिबरा गांव में रेत माफियाओं द्वारा एक आरक्षक की बेरहमी से हत्या किए जाने की घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। 11 और 12 मई की दरम्यानी रात अवैध रेत उत्खनन रोकने गए आरक्षक को माफियाओं ने जानबूझकर ट्रैक्टर से कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
इस गंभीर मामले में अब तक पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को झारखंड से गिरफ्तार किया है और दो ट्रैक्टर जब्त किए हैं। इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और भारतीय वन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
घटना की भयावहता को देखते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
इस बीच, एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है—जिसमें बताया गया है कि घटना से एक दिन पहले ही, तहसीलदार द्वारा पकड़े गए तीन अवैध रेत ले जा रहे ट्रैक्टरों को छोड़ दिया गया था। इस पर अब तक कोई कार्रवाई न होने से प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
वर्तमान में सनावल थाना क्षेत्र की पुलिस बाकी फरार आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है। यह घटना न केवल प्रदेश में रेत माफियाओं के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है, बल्कि प्रशासनिक ढिलाई की ओर भी इशारा करती है। स्थानीय लोगों और पुलिसकर्मियों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है और वे दोषियों के खिलाफ कठोरतम सजा की मांग कर रहे हैं।

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