गरियाबंद छत्तीसगढ़। रिपोर्ट: लोकेश्वर सिन्हा। गरियाबंद वन परिक्षेत्र में भालुओं का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते दिन जिले में दो अलग-अलग स्थानों पर भालुओं ने हमला कर दिया, जिसमें दो ग्रामीणों की जान बाल-बाल बची।
पहली घटना उस वक्त हुई जब युवक गोवर्धन निषाद तेंदूपत्ता तोड़ने जंगल गया था। इसी दौरान दो भालुओं ने उस पर जानलेवा हमला कर दिया। साहस दिखाते हुए गोवर्धन ने भालुओं से संघर्ष कर किसी तरह अपनी जान बचाई।
दूसरी घटना घुटकुनवापारा की है, जहां चंद्रवती ध्रुव नामक महिला पर भालू ने हमला कर दिया। महिला ने सूझबूझ और साहस से अपनी जान बचाई, लेकिन मानसिक और शारीरिक रूप से वह बुरी तरह आहत हुई हैं।
हालांकि दोनों घटनाओं की सूचना वन विभाग को तत्काल दी गई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि विभाग का कोई भी प्रतिनिधि अब तक अस्पताल पहुंचकर पीड़ितों का हालचाल लेने नहीं पहुंचा है। इससे ग्रामीणों में विभाग की निष्क्रियता को लेकर भारी नाराजगी है।
ग्रामीणों का कहना है कि जंगल में तेंदूपत्ता या लकड़ी लेने जाने में अब डर लगने लगा है। वन्यजीवों का ऐसा बढ़ता आतंक वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
सरकार और प्रशासन से ग्रामीणों की मांग है कि तत्काल भालूओं की बढ़ती गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और पीड़ितों को मुआवजा व उचित उपचार सहायता दी जाए।
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