विजय साहू की रिपोर्ट।
कोंडागांव/फरसगांव:30 अगस्त 2025। आधुनिकता के इस दौर में दुनिया फाइव जी की स्पीड में आगे बढ़ रही है!लोग चांद तक भी पहुंच गए,लेकिन कोंडागांव जिले के अंदरूनी इलाकों की तस्वीर आज तक नहीं बदल पाई है,आलम ये है कि लोग आज भी बदहाली की जिन्दगी जीने को मजबूर है, दरअसल जिले के फरसगांव क्षेत्र के कुछ नदी,नालों में पुल पुलिया का निर्माण नहीं हो पाई है,लिहाजा ग्रामीण रिस्क लेकर जान हथेली पर रखकर उफनते नदी को पार करने मजबूर है,इस दौरान पानी के तेज बहाव में बहने का डर बना रहता है,बताते हैं कि क्षेत्र के नदी में पुल निर्माण की मांग ग्रामीणों की बहुप्रतीक्षित मांगे है,जिसके लिए उन्होंने जिम्मेदार अफसरों और जनप्रतिनिधियों से कई बार मांग किए लेकिन मिला सिर्फ आश्वासन, समझ में नहीं आता चुनाव के समय क्षेत्र की विकास के नाम बड़ी, बड़ी दावे और लंबी,लंबी दलील देकर वोट मांगने वाले नेता कैसे कई गांवों के लोगों ग्रामीणों की मूलभूत सुविधाओं का थोड़ा भी ख्याल नहीं रखते, ग्रामीणों ने बताया कि सूखे के दिनों में नदी में पानी कम होने के चलते वो जैसे तैसे आवाजाही कर लेते हैं, लेकिन बारिश के दिनों नदी में जब बाढ़ का सैलाब होता है तो उन्हें जान जोखिम में डालकर नदी पार कर जरूरत के सामानों के लिए मुख्यालय तक जाना होता है।
ग्रामीणों की माने तो सरकार ने सड़कें तो बना दी हैं, लेकिन पुलिया बनाना भूल गई है, जिससे ग्रामीणों को बरसात के मौसम में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।,अंदरूनी क्षेत्र में सड़कें तो बन गईं,पर पुलिया नहीं,क्या सरकार की प्राथमिकता सूची में इन गांवों की सुरक्षा और सुविधा शामिल नहीं है?” जो सरकार की प्राथमिकताओं पर बड़ा सवाल खड़े कर रहे हैं।
*जान के जोखिम पर जोर …*
फरसगांव ब्लॉक के अति संवेदनशील अंदरूनी क्षेत्र ग्राम पंचायत झाकरी के आश्रित गांव मिश्री से कोलेंगा के बीच बहने वाली तमोरा नदी पर पुलिया नहीं होने से ग्रामीणों को छाती तक गहरे पानी में घुसकर नदी पार करने की मजबूरी है। यह स्थिति बेहद खतरनाक है, क्योंकि इस नदी पर पुलिया न होने के कारण आसपास के 6-8 गांवों के ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर हर दिन इस नदी को पार कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है?”
*चुनावी वादों पर सवाल …*
ग्राम पंचायत झाकरी के सरपंच रस्सूराम मंडावी, मनीराम सोरी, जुगरूराम सोरी, किलुराम सोरी ने बताया कि आश्रित गांव मिश्री के कुछ लोगों की खेती-बाड़ी नदी के उस पार कोलेंगा गांव में भी है, और बारिश के दौरान उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। यह रास्ता उरंदाबेड़ा लैंप्स, थाना और ब्लॉक मुख्यालय फरसगांव के साथ-साथ जिला मुख्यालय कोंडागांव जाने के लिए एक शॉर्टकट मार्ग भी है।
सरपंच ने आगे बताया कि चुनाव के दौरान केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम ने इस नदी पर पुलिया बनाने की घोषणा भी की थी। इसके अलावा, पड़ोसी गांव भोंगापाल में हुए मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में भी ग्रामीणों ने पुलिया बनाने की मांग की थी। इन सब के बावजूद, यह पुलिया आज तक नहीं बन पाई है, जिससे ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के दौरान विधायक ने पुलिया बनाने का वादा तो किया, लेकिन यह वादा आज तक अधूरा है। क्या चुनाव के बाद जनता से किए गए वादे सिर्फ़ कागज़ी घोषणाएं बनकर रह जाते हैं?”
*दूरी और समय के नुकसान पर जोर …*
ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह पुलिया बन जाती तो उरंदाबेड़ा थाना और लैंप्स तक की दूरी केवल 5 किलोमीटर रह जाती। अभी बारिश के दिनों में उन्हें ग्राम बढ़गई से होकर लगभग 20 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता है। यह सिर्फ़ आवागमन का मुद्दा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और आपातकालीन सेवाओं से जुड़ा भी है। अगर कोई बीमार हो जाए या गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाना हो, तो 20 किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता तय करने में कितना जोखिम है।
यह सिर्फ़ 20 किलोमीटर का अंतर नहीं है, बल्कि ग्रामीणों के समय, ईंधन और उनकी मेहनत का भी नुकसान हो रहा है। क्या सरकार इस आर्थिक और सामाजिक नुकसान की भरपाई करेगी?” ग्रामीणों ने शासन और प्रशासन से पुलिया निर्माण की गुहार लगाई है। अब यह देखना होगा कि इन अंदरूनी इलाकों के ग्रामीणों की इस मांग को कब तक पूरा किया जाएगा।

CG – पुल ना बनने से ग्रामीणों की बढ़ी मुसीबत,रिस्क लेकर उफनते नदी कर रहे पार,लोगों की बहुप्रतीक्षित मांगे.. कई बार मांग के बाद नहीं हुई पूरी,जिम्मेदार अफसर और जनप्रतिनिधी…
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