कांकेर:- ग्राम पंचायत भीरावाही के ग्रामीण कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि क्षेत्र में संचालित माइंस—बीएसपी देव माइंस, आरीडोगरी, गोदावरी माइंस और सीएमडीसी माइंस—में स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार का अवसर दिया जाए।
ग्रामीणों ने बताया कि माइंस से निकलने वाले लाल पानी की वजह से गांव की कृषि भूमि बंजर होती जा रही है और पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इसके बावजूद स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के बजाय बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। इस कारण गांव के कई युवा रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों की ओर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।
ग्राम के सरपंच, उपसरपंच, बुजुर्ग और महिला-पुरुष बड़ी संख्या में इस दौरान मौजूद रहे। ग्राम निवासी कुसाऊ राम ने कहा कि पहले इस माइंस पर कुछ लोगों का कब्जा था, जिसे ग्रामीणों ने मिलकर छुड़वाया। अब जब माइंस का काम लगातार चल रहा है तो गांव के युवाओं को नजरअंदाज कर बाहरी लोगों को नौकरी दी जा रही है। जबकि गांव के बेरोजगार युवक काम की तलाश में भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को सबसे पहले स्थानीय युवाओं को रोजगार का अवसर देना चाहिए।
वहीं, किसानों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि लाल पानी की वजह से खेतों की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है। अगर इस समस्या का समाधान जल्द नहीं किया गया तो आने वाले समय में गांव के किसान खेती-किसानी से पूरी तरह वंचित हो जाएंगे।
ग्रामीणों ने प्रशासन से दो टूक मांग की कि एक ओर जहां लाल पानी की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए, वहीं दूसरी ओर स्थानीय युवाओं को माइंस में प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाए, ताकि पलायन रुक सके और गांव के लोगों की आजीविका सुरक्षित हो सके।
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