छत्तीसगढ़ में जहां एक ओर सरकारें और स्थानीय नेता क्षेत्र के चहुंमुखी विकास के बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकते, वहीं दूसरी ओर कांकेर के रसौली गांव की जमीनी हकीकत इन सभी दावों की पोल खोल रही है। आज भी यहां के ग्रामीण पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं और अपनी प्यास बुझाने के लिए झरिया नदी के दूषित पानी पर निर्भर रहने को मजबूर हैं।
हैंडपंप का अभाव, नदी बनी एकमात्र सहारा
गांव के लोगों का कहना है कि जल आपूर्ति की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। एक भी कार्यशील हैंडपंप या जलमीनार न होने के कारण उनके पास नदी ही एकमात्र सहारा बचती है। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को रोजमर्रा के पीने और घरेलू उपयोग के लिए कई किलोमीटर दूर नदी तक जाना पड़ता है, जो एक बड़ा जोखिम और समय की बर्बादी है।
“विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, लेकिन हमारे गांव में आज तक पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं हो पाया। नेताओं के सारे दावे सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। मजबूरी में नदी का गंदा पानी पीना पड़ता है, जिससे आए दिन बीमारियां फैलती हैं,” एक स्थानीय ग्रामीण ने अपनी व्यथा सुनाई।
दूषित पानी से स्वास्थ्य पर खतरा
ग्रामीणों द्वारा उपयोग किया जा रहा नदी का पानी साफ नहीं है। यह दूषित पानी स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। पिछले कुछ समय से गांव में पेट संबंधी बीमारियां और जलजनित रोगों के मामले बढ़े हैं, जिसका सीधा कारण दूषित जल का सेवन है।
प्रशासन की अनदेखी पर रोष
स्थानीय लोगों में प्रशासन और जन प्रतिनिधियों के प्रति गहरा रोष है। उनका कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है। बुनियादी सुविधाओं की इस अनदेखी से यह स्पष्ट होता है कि जमीनी स्तर पर विकास की योजनाएं विफल हो रही हैं।
जल्द से जल्द पेयजल व्यवस्था करने की मांग
जल्द से जल्द हैंडपंप और स्वच्छ जल की व्यवस्था
रसौली के ग्रामीणों ने अब एक स्वर में जिला प्रशासन से तुरंत गांव में हैंडपंप लगाने और शुद्ध पेयजल की स्थायी व्यवस्था करने की मांग की है, ताकि उन्हें दूषित नदी का पानी पीने की मजबूरी से मुक्ति मिल सके।

विकास के दावों की खुली पोल: रसौली में ग्रामीण आज भी नदी का दूषित पानी पीने को मजबूर!
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