कांकेर जिले के ग्राम पंचायत भिलाई, करिहा भिरौद, मचांदूर और माहुद के ग्रामीण सोमवार को बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे। ग्रामीणों ने बताया कि खनिज विभाग द्वारा नए नियम 2025 के तहत सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट कराने के लिए मौखिक दबाव बना रहा है, जबकि उनकी रेत खदान का पट्टा वर्ष 2024 से 2029 तक पुराने नियम 2023 के अनुसार वैध है।
ग्राम पंचायतों ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कलेक्टर को बताया कि सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट अनिवार्य नहीं है। यह केवल उन पंचायतों पर लागू होता है, जो खदान की अवधि एक वर्ष और बढ़ाना चाहती हैं, जबकि वे अतिरिक्त अवधि नहीं लेना चाहते। पंचायतों ने यह भी कहा कि 25% एफ.डी. और अग्रिम रॉयल्टी जमा करना उनके लिए आर्थिक रूप से संभव नहीं है।
ग्रामीणों का कहना है कि उनकी खदान को पर्यावरण स्वीकृति (EC) पहले ही मिल चुकी है और खनन कार्य नियमों के तहत संचालित हो रहा है।
ग्रामीणों ने कलेक्टर से चार मांगें रखी हैं— मौखिक दबाव पूरी तरह रोका जाए, वर्तमान पट्टा वैध माना जाए, सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट न थोपे जाएं, और पेसा कानून का पालन करते हुए ग्रामसभा की अनुमति के बिना कोई भी कार्रवाई न की जाए।

सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट के दबाव पर भड़के ग्रामीण,पंचायतों ने संयुक्त रूप से की शिकायत
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