CG कांकेर /चारामा :- क्षेत्रीय विधायक सावित्री मंडावी ने किसानों के धान बेचने में हो रही परेशानियों को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर धान खरीदी में रुकावटें डाल रही है और किसानों की समस्याओं को अनदेखा कर रही है।
विधायक ने प्रेस वार्ता में कहा कि इस साल सरकार ने 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 14 नवंबर से 31 जनवरी तक का समय तय किया गया है, लेकिन छुट्टियों और धीमी प्रक्रिया के कारण किसानों को केवल 47 दिन मिल रहे हैं। इस दौरान सरकार को प्रति दिन साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन धान खरीदना होगा, जो मौजूदा रफ्तार को देखते हुए असंभव है।
किसानों को झेलनी पड़ रही परेशानियां
सरकार ने सोसाइटियों को निर्देश दिया है कि वे प्रतिदिन केवल 752 क्विंटल (लगभग 1880 कट्टे) धान खरीदें। इसके कारण किसानों को बार-बार नई तारीखों का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके अलावा, सरकार ने 72 घंटे में भुगतान का वादा किया था, लेकिन 14 नवंबर को धान बेचने वाले किसानों को अब तक पूरा भुगतान नहीं मिला है। किसानों को केवल ₹2300 प्रति क्विंटल दिया जा रहा है, जबकि वादा ₹3100 का था।
विधायक ने आरोप लगाया कि धान खरीदी में अनावरी रिपोर्ट को गलत तरीके से तैयार किया गया है। किसानों से उनकी पूरी फसल नहीं खरीदी जा रही और उन्हें केवल 9-12 क्विंटल धान बेचने की अनुमति दी जा रही है, जबकि तय सीमा 21 क्विंटल है। बीज उत्पादक किसानों की उपज को सोसायटियों में लेने से मना किया जा रहा है, जिससे किसान परेशान हो रहे हैं।
बारदाने और टोकन प्रणाली में खामियां
धान खरीदी केंद्रों पर बारदाने की कमी से काम ठप पड़ा है। सरकार ने पुराने और नए बारदानों के उपयोग का निर्देश दिया है, लेकिन 50% पुराने बारदाने अभी तक केंद्रों में नहीं पहुंचे हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन टोकन प्रणाली किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। किसानों को टोकन मिलने में 15 दिनों तक का समय लग रहा है, जिससे उन्हें घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है।
विधायक ने सरकार से धान का समर्थन मूल्य ₹3217 प्रति क्विंटल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने चुनावी वादे में ₹3100 प्रति क्विंटल का मूल्य तय किया था और केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य में ₹117 की वृद्धि की है, इसलिए यह जरूरी है कि किसानों को ₹3217 का भुगतान किया जाए।
धान मिलर्स को प्रति क्विंटल ₹120 के स्थान पर केवल ₹60 दिए जाने के कारण राइस मिलर्स हड़ताल पर चले गए हैं। इससे धान खरीदी केंद्रों पर जाम की स्थिति पैदा हो गई है। पहले जहां मार्कफेड को 28 फरवरी तक धान निपटान का प्रावधान था, अब इसे 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया है। लेकिन इस नीति से खरीदी केंद्रों में जगह की समस्या बढ़ गई है।