हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष की बरसात ने भारी तबाही मचाई है। लगातार हो रही बारिश, बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। राज्य में जगह-जगह सड़कों का कटाव हुआ, पुल बह गए, मकान और खेत नष्ट हो गए। इस तबाही की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में ऐलान किया कि हिमाचल प्रदेश को आपदा प्रभावित राज्य घोषित किया गया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 20 जून से अब तक राज्य को लगभग 3,056 करोड़ रुपये से अधिक की क्षति हुई है। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में चंबा, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, शिमला, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर शामिल हैं। यहां पर न केवल सैकड़ों मकान और सड़कें क्षतिग्रस्त हुईं, बल्कि हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना पड़ा।
मानिमहेश यात्रा के दौरान अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से श्रद्धालु फंस गए थे। प्रशासन और आपदा प्रबंधन दलों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 10,000 से ज्यादा यात्रियों को सुरक्षित निकालने में सफलता हासिल की। सेना, एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की मदद से राहत व बचाव कार्य लगातार जारी हैं।
राज्य सरकार ने केंद्र से विशेष पैकेज की मांग की है ताकि प्रभावित इलाकों में पुनर्वास और पुनर्निर्माण का कार्य तेज़ी से किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर प्रभावित परिवार तक राहत सामग्री, आर्थिक मदद और पुनर्वास सहायता पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस प्राकृतिक आपदा ने हिमाचल के पर्यटन, कृषि और बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। फिलहाल प्रशासन की प्राथमिकता लोगों की जान बचाना और उन्हें सुरक्षित आश्रय उपलब्ध कराना है, साथ ही क्षतिग्रस्त इलाकों में यातायात और संचार व्यवस्था बहाल करना भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।

हिमाचल प्रदेश आपदा प्रभावित घोषित, 3 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान, राहत-बचाव जारी
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