छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पर्व पौष पूर्णिमा के दिन बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हमारी परंपराओं, लोक संस्कृति और आपसी सौहार्द का प्रतीक है। इसी परंपरा को संजोने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से भानुप्रतापपुर की विधायक सावित्री मनोज मंडावी ने चारामा नगर में भ्रमण कर इस अद्भुत सांस्कृतिक आयोजन में भाग लिया।
छेरछेरा पर्व को दान लेने और देने का पर्व माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन दान देने से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती। इस अवसर पर बच्चे, युवा और बड़े सभी मिलकर “डंडा नृत्य” प्रस्तुत करते हैं, जो इस पर्व का प्रमुख आकर्षण है।
लोकगीतों की गूंज और दान का महत्व
बुजुर्गों और बच्चों की टोलियां अनोखे बोल के साथ घर-घर जाकर दान मांगती हैं। उनका पारंपरिक उद्घोष “छेर छेरा… माई कोठी के धान ल हेर हेरा” पूरे वातावरण को जीवंत कर देता है। अगर दान नहीं मिलता, तो वे कहते हैं, “अरान बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन”, जिसका अर्थ है कि वे तब तक नहीं जाएंगे, जब तक उन्हें दान नहीं मिलेगा।
चारामा नगर में छेरछेरा पर्व के दौरान विधायक सावित्री मनोज मंडावी ने लोगों से मुलाकात की और इस परंपरा को संजोने का आह्वान किया। इस दौरान उनके साथ पूर्व गौ सेवा आयोग सदस्य नरेंद्र यादव, हिरवेंद्र साहू, महेंद्र नायक, प्रेमलता सुखदेव, ऊषा वट्टी, संतोषी सिन्हा, सुमित्रा नागराज, अंबिका सिन्हा, रानू सेन, भुनेश्वर नागराज, सुभाष सोनकर, कमल तराम, अर्जुन देवांगन, अनुराग सोनवानी, देवा कोरेटी, अमृत लाल देवांगन, मनीष सोनकर, रमा यादव, सुधांशु पांडे, अशोक सोनी, श्यामसुंदर डहारे, किशोर जैन, पंकज वाधवानी और अन्य कार्यकर्ता शामिल हुए।
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