कांकेर 23 दिसंबर 2025 :- जिले के चारामा विकासखंड अंतर्गत पुरी क्षेत्र के ग्राम कहाड़गोंदी में आयोजित कोया पुनेम एवं संवैधानिक पाँच दिवसीय केंद्रीय प्रशिक्षण शिविर का आज चौथा दिन रहा। पेसा दिवस के अवसर पर आयोजित इस शिविर में देशभर से चयनित आदिवासी युवा-युवतियाँ सहभागिता कर रही हैं। प्रशिक्षण के चौथे दिन भी पेसा कानून, वन अधिकार मान्यता कानून, संवैधानिक अधिकार, ग्रामसभा सशक्तिकरण और आदिवासी स्वशासन प्रणाली से जुड़े विषयों पर सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण जारी रहा।
शिविर में विशेषज्ञों द्वारा आदिवासी समाज की परंपरागत जीवनशैली, प्रकृति आधारित संस्कृति, गोंडवाना के वैज्ञानिक सिद्धांत, कोयतोरियन तकनीक, नारी व्यवस्था, टोटेमिक सिस्टम और लिंगो पेन परंपरा जैसे विषयों पर विस्तार से मार्गदर्शन दिया जा रहा है। प्रशिक्षणार्थियों को अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और सामूहिक निर्णय प्रक्रिया से जोड़ते हुए पारंपरिक आदिम जीवनशैली को व्यवहार में समझाया जा रहा है।
शिविर को लेकर आयोजकों ने बताया कि यह आयोजन आदिवासी समाज को संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने की दिशा में एक सशक्त प्रयास है।
क्षेत्रीय अध्यक्ष रवि शंकर दर्रो ने बताया कि
कोया पुनेम प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से हम समाज के युवाओं को अपनी संस्कृति, परंपरा और संवैधानिक अधिकारों से जोड़ रहे हैं। यह प्रशिक्षण आदिवासी समाज को संगठित, जागरूक और स्वशासन की दिशा में मजबूत बनाने का कार्य कर रहा है।
वही गोविंद ठाकुर, हल्बा समाज ब्लॉक सचिव ने प्रशिक्षण के बारे में बताया कि यह प्रशिक्षण शिविर युवाओं के लिए एक सीखने का मंच है, जहाँ उन्हें पेसा कानून, वन अधिकार और ग्रामसभा की ताकत के बारे में जानकारी मिल रही है। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और भविष्य में सकारात्मक बदलाव आएगा।
अश्वनी कांगे समाज प्रमुख ने बताया कि आज समाज को अपनी जड़ों से जुड़े रहने की जरूरत है। यह प्रशिक्षण शिविर हमारी परंपराओं, प्रकृति और आत्मनिर्भर जीवनशैली को समझने का अवसर दे रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ी मजबूत और सशक्त बनेगी। आयोजकों के अनुसार 24 दिसंबर को पेसा दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह शिविर आदिवासी समाज को शोषणमुक्त, भयमुक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।

CG—कहाड़गोंदी में कोया पुनेम प्रशिक्षण शिविर का चौथा दिन,आदिवासी युवाओं को मिल रहा संवैधानिक अधिकारों का ज्ञान
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