कांकेर, 4 दिसंबर 2025 – रायपुर में संदिग्ध परिस्थितियों में सर्व आदिवासी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष जीवन ठाकुर की मौत के बाद आदिवासी समाज और परिजनों में भारी आक्रोश फैल गया है। समाजजनों और परिवार ने जेल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही और जानकारी छुपाने का आरोप लगाते हुए बड़ी संख्या में कलेक्टोरेट पहुँचकर ज्ञापन सौंपा। साथ ही गुस्साए लोगों ने नेशनल हाईवे-30 पर चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन किया।
बताया गया कि जीवन ठाकुर को 12 अक्टूबर 2025 को एक मामले में गिरफ्तार कर जिला जेल कांकेर में रखा गया था। लेकिन 2 दिसंबर को उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के रायपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। परिवार का कहना है कि न तो स्थानांतरण की जानकारी दी गई, न तबीयत बिगड़ने की सूचना दी गई और न ही अस्पताल में भर्ती कराए जाने की।
वायरलेस संदेश के अनुसार 4 दिसंबर की सुबह 4:20 बजे उन्हें डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल रायपुर में भर्ती कराया गया, जहाँ सुबह 7:45 बजे उनका निधन हो गया। परिजनों को इसकी सूचना शाम लगभग 5 बजे दी गई। परिवार का आरोप है कि यदि तबीयत बिगड़ रही थी, तो समय रहते इलाज क्यों नहीं कराया गया और रेफर करने की जानकारी क्यों नहीं दी गई।
मृतक जीवन ठाकुर के पुत्र चिरंजीव ठाकुर ने मीडिया से कहा कि “मेरे पिता को कांकेर से रायपुर रेफर किया गया, जहाँ उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन हमें इसकी कोई सूचना नहीं दी गई। हमें सिर्फ मृत्यु की जानकारी दी गई, वह भी देर शाम। यह पूरी लापरवाही जेलर की है। जब तक चारामा के थाना प्रभारी, नायब तहसीलदार और दोनों जेलों के जेलर को निलंबित नहीं किया जाता, हम शव नहीं लेंगे। कलेक्टर ने एक सप्ताह का समय मांगा है, लेकिन हम इतना इंतजार नहीं कर सकते।”
समाज प्रमुख सुमेर नाग ने कहा कि “जीवन ठाकुर समाज के सक्रिय और समर्पित कार्यकर्ता थे। उनकी मौत समाज के लिए बड़ी क्षति है। जिस प्रकार उनके साथ व्यवहार हुआ, वह निंदनीय है। यदि शीघ्र न्याय नहीं मिला तो बस्तर बंद या शव आने तक चक्का जाम जैसे आंदोलन किए जा सकते हैं। स्थानांतरण के समय परिवार को जानकारी देना जरूरी था। क्या उन्हें एंबुलेंस से ले जाया गया? यह स्पष्ट नहीं है। यह जेल प्रशासन की लापरवाही है। राजनीतिक दबाव में प्रशासन काम कर रहा है। दुख की बात है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बावजूद आदिवासी समाज के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि “आदिवासी समाज हमेशा जल-जंगल-जमीन के लिए संघर्ष करता है, लेकिन आज थोड़ी-सी जमीन रखने पर आदिवासियों पर एफआईआर हो रही है, जबकि अन्य को छोड़ा जा रहा है। यह कैसा प्रशासन है? न्याय के लिए पूरा समाज परिवार के साथ खड़ा है। सर्व आदिवासी समाज ने अपनी मांगों को लेकर नेशनल हाईवे-30 पर चक्काजाम कर प्रदर्शन किया। समाज ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला तो बस्तर बंद जैसे व्यापक आंदोलन किए जाएंगे।
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